Sunday, January 29, 2012
चाहत के दरख्त
चाहत के दरख्तों पर
कुछ ख्वाब उगे हैं
कुछ कच्चे हैं, खट्टे हैं
कुछ बढ़ के झुके हैं
कुछ टूट कर गिरे हैं
उगने के साथ ही
कुछ हैं अभी डाली पर
बढ़ने को रुके हैं
कुछ पत्तियों से हल्के
झोकों से ढह गए
कुछ ओस में भीगे और
बारिश में बह गए
कुछ ने रुलाया इतना
की नम हुआ मौसम
कुछ लब बिना हिलाए
हर बात कह गए
कुछ झेल कर तपिश को
मुरझाने लगे हैं
कुछ मुस्कुरा कर सारे
तूफ़ान सह गए
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Bahut khoob ... Is chatat ke darakht ko poste rahiye ... Kisi kisi ko naseeb hota hai ...
ReplyDeleteचाहतों के दरख़्त हों तो बसंत आएगा ही
ReplyDeleteबहुत बहुत सुन्दर...
ReplyDeleteलाजवाब!!
//कुछ हैं अभी डाली पर
ReplyDeleteबढ़ने को रुके हैं
//कुछ लब बिना हिलाए
हर बात कह गए
bahut khoobsoorat rachna.. bahut bahut khoob..
kabhi waqt mile to mere blog par bhi aaiyega.. aapka swagat hai.. :)
palchhin-aditya.blogsopt.com
बहुत सुन्दर ..ख्वाब ऐसे ही होते हैं ..कुछ परवान चढते हैं तो कुछ झर जाते हैं .
ReplyDeleteवाह चाहत के दरख्त पर ख्वाबों की खूब मचान लगायी है।
ReplyDeleteवाह!!!बहुत खूब लाजवाब प्रस्तुति ....
ReplyDeleteati sunder .
ReplyDeleteबहुत ही बढिया।
ReplyDeleteवाह ---!
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर भाव के साथ आपने रचनाकारी की है!
--
चित्र भी बहुत सुन्दर है!
बिल्कुल रचना के अनुरूप!
bahut achcha laga padh kar ..
ReplyDeleteबहुत सुन्दर सृजन , सुन्दर भावाभिव्यक्ति .
ReplyDeleteमैं आपके ब्लॉग को फालो कर चुका हूँ, अपेक्षा करता हूँ कि आप मेरे ब्लॉग"MERI KAVITAYEN" पर पधारकर मुझे भी अपना स्नेह प्रदान करेंगे .
आपके समर्थन और शुभकामनाओं का ह्रदय से आभारी हूँ.
ReplyDeletebhaut hi sundar rachna hai..
ReplyDeletenice one..
बेहद प्यार और नरमाई से लिखी हुई कविता.
ReplyDeleteमैंने इसे अपने ईमेल से अपने कुछ दोस्तों के साथ आपके ब्लॉग नेम के साथ शेयर की है.
-शैफाली
Touching... Thanks to Shaifali for sharing this...
ReplyDeleteThanks Shaifali....I have read your blog also...its nice..:)..now i m also your follower.
ReplyDeletebahut umdaa ......
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