Sunday, September 23, 2012

तुम्हारे लिए

तुम्हे लगता है
भूल गयी तुम्हे मै

तुम्हारी तड़प से
अनजान हूँ मै

और छोड़ दिया तुम्हे
भाग्य के सहारे 

लेकिन सब जानती हूँ मै
और चाहती हूँ
तुम्हारे सब दुःख हरना

लेकिन तुम्हारे सुख का 
हर एक छोर 
मेरी उँगलियों में बंधे
धागों पर आकर
ठहर जाता है

जैसे नाचती है कठपुतली
धागों की मर्ज़ी से बंधी हुई

काट दो धागे
निर्बाध उडो, बहो, फिसलो, थिरको
नाचो और दौड़ पड़ो

तुमसे अलग मै कभी नहीं
तुम्हारे अन्दर बसी मै
तुम्हे देखती हूँ हर पल

और मानती हूँ ईश्वर से
हर पल एक नयी ख़ुशी 
तुम्हारे लिए

Monday, September 17, 2012


बूंदे जो निकली बादलों की छोड़ कर बाहें




बूंदे जो निकली बादलों की छोड़ कर बाहें
न जाने कितने हौसले और अनगिनत चाहें 
कुछ ढह गयी, कुछ बह गयी लब पर लिए आँहें 
कुछ गुमशुदा हैं अबतलक थी अजनबी राहें

Saturday, September 1, 2012















मुझे तुम याद आते हो
कभी तनहाइयों में यूँ

की जैसे रात हो जाती है 
सूनी चाँद तारों बिन

की सूरज सो रहा हो
रौशनी बिन आ गया हो दिन

की फूलों ने महक अपनी
तिजोरी में छुपा दी हो

की पेड़ों ने न दी हो छांव
हर पत्ती गिरा दी हो

की बारिश मुझ तलक आकर
बदल दे रास्ता अपना

की बेरंगा सा दीखता हो
मुझे रंगों भरा सपना

की सूनापन अजब सा
जिंदगी में आके बस जाये

कोई देखे मेरा गम
और मेरी हालत पे हंस जाये