कागज़ को प्यार से सहलाकर
खुशबुओं से नहलाकर
सोचती हूँ लिखू
कोई प्यार भरा गीत
जिसमे तारों भरे आसमान तले
जुगनू टिमटिमाते हो
हवा के झोंके जहाँ बिना किसी
खिड़की, दरवाज़े से टकराए हुए आते हों
जहाँ एक दूसरे के सुख से बढ़कर
कोई चाह न हो
जहाँ अलग कर देने वाली
कोई राह न हो
जहाँ किसी को समझने के लिए
लफ़्ज़ों की नहीं दिल की ज़रूरत हो
जहाँ चेहरे नहीं
नियत खूबसूरत हों
जहाँ लोग क्या कहेगे
कहने वाला कोई न हो
जहाँ मासूमियत ने
अपनी सूरत धोयी न हो
जहाँ शान के लिए
जान बिकती न हो
जहाँ इंसानों में हैवानियत
दिखती न हो
खुशबुओं से नहलाकर
सोचती हूँ लिखू
कोई प्यार भरा गीत
जिसमे तारों भरे आसमान तले
जुगनू टिमटिमाते हो
हवा के झोंके जहाँ बिना किसी
खिड़की, दरवाज़े से टकराए हुए आते हों
जहाँ एक दूसरे के सुख से बढ़कर
कोई चाह न हो
जहाँ अलग कर देने वाली
कोई राह न हो
जहाँ किसी को समझने के लिए
लफ़्ज़ों की नहीं दिल की ज़रूरत हो
जहाँ चेहरे नहीं
नियत खूबसूरत हों
जहाँ लोग क्या कहेगे
कहने वाला कोई न हो
जहाँ मासूमियत ने
अपनी सूरत धोयी न हो
जहाँ शान के लिए
जान बिकती न हो
जहाँ इंसानों में हैवानियत
दिखती न हो