ठहर जाने दो लम्हों को
बिखर जाने दो कुछ मोती
तुम्हारी याद के चादर तले
ये रात है सोती
सितारे आ टपकते हैं
मुझे तन्हा जो पाते हैं
ये जुगनू रात भर
मेरी तरह ही टिमटिमाते हैं
चुराने आ गए हैं फिर
मेरी आँखों के सब सपने
अँधेरे मेरे कानों में
बहुत कुछ बुदबुदाते है
पुराने से पिटारे कुछ
अभी भी अधखुले से हैं
कही रेशम से आंचल के
सितारे झिलमिलाते हैं
यूँ हम तो चल ही पड़ते हैं
वो जब आवाज़ देते हैं
लो अब हम भी उन्हें
आवाज़ देकर आज़माते हैं
शिकायत वो भला हमसे
करें किस बात की बोलो
जो न तो याद करते हैं
न हमको याद आते हैं
मुसाफिर जिस गली के हम रहे
माहों को. सालों को
कभी उनके परिंदे
हम तलक भी उड़ के आते हैं
Wednesday, March 28, 2012
Thursday, March 22, 2012
टूटता तारा
बहुत दिनों बाद
आज ऑनलाइन थी मै
मिला एक पुराना मित्र
मेरी ग्रीन लाइट देखते ही
उसका पहला शब्द
areeeeeeeeeeyyyyyyyyyyyyy??????
कहाँ थी तुम इतने दिनों से ??
कोई खबर क्यों नहीं दी ??
तुम्हे पता है क्या क्या हुआ इन दिनों?
मेरी शादी हो गयी
नौकरी छोड़ दी
अपना काम शुरू किया
तुम्हारा लिखा एक गाना गाया शो में
बहुत तारीफ हुई
फिर कुछ लिखना तो बताना.....
मै बोली तुम चुप हो तो मै कुछ बोलू
वो शर्मिंदा सा मुस्कुराया
मैंने कहा नींद आ रही है
जाती हूँ
वो बोला
पता है इतने दिनों बाद
तुम्हे ऑनलाइन देख कर कैसा लगा?
लगा टूटता तारा कैच लिया हो आज
कुछ देर तो महसूस करने दो इसकी रौशनी
और मै मुस्कुरा कर बोली
बीवी को बुलाओ
उसे भी टूटता तारा दिखाओ
मै देखना चाहती हूँ
उसकी रौशनी में और क्या क्या टूटता है...:)
Sunday, March 11, 2012
आइसक्रीम वाला
सड़कों का सन्नाटा
चटकीली धूप
सूखे गिरे पत्तों की सरसराहट
हवा की सांय सांय
इक्का दुक्का दिखते लोग
बड़े लाल घड़ों वाले ठेले के साथ
वो जलजीरे वाला
दूर किसी कालोनी में
आइसक्रीम वाले की गुहार
और मोटे पर्दों वाली खिडकियों से
झांक कर उसे रुकने का इशारा करते बच्चे
अठन्नी चवन्नी जोड़ कर
दौड़ती हुई आई कमली
आज फिर उदास लौटी है
अभी भी पच्चास पैसे कम पड़ गए
उसकी आइसक्रीम के लिए
लेकिन आस टूटी नहीं है
कल फिर आइसक्रीम वाला आयेगा
तब तक शायद अठन्नी का जुगाड़ हो जाये
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