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आज़ादी
संकीर्ण सोच से
दंगों से - रोष से
स्वार्थी राजनीती से
पिछड़ी कुरीति से
कुपोषित बचपन से
रिश्वत के अजगर से
झूठ से मक्कारी से
भूख से लाचारी से
बे रोशन रातों से
जहरीली घातॊ से
गन्दी मानसिकता से
टूटती एकता से
-रंजना डीन