हवा के परों पर
है मेरी धरोहर
कहाँ कब तलक है
ये कैसे बताऊँ
हर एक रास्ता
मुझको अपना लगे है
किसे मोड़ समझू
मै किस राह जाऊं
भरे है खजाने
कई चाहतों के
मै सबको बता दूँ
या सबसे छुपाऊँ
जो यादें पलट कर
दिखाती है चेहरा
उन्हें याद रखूं
या फिर भूल जाऊं
मुझे देखकर
उनकी पलकें हुई नम
उन्हें चूम लूँ
या गले से लगाऊं
मुझे जिंदगी ने
सिखाया बहुत कुछ
है अब वक़्त आया
उन्हें आजमाऊं
Sunday, April 15, 2012
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