Sunday, November 21, 2010

हिफाज़त



कुछ इस कदर की
उन्होंने हमारी हिफाज़त

न ओस में नहा सके
न अश्कों को बहा सके

न हवा संग डोळ सके
न लबों से कुछ बोल सके

न शाखों पर खिल सके
न मिट्टी में मिल सके

Sunday, November 7, 2010

विजय पर्व



पिघली हुई मोमबत्ती
बुझ चुके दिए में भी
है कुछ बात

क्योंकि बता रहे हैं ये
की कितनी इमानदारी से
इन्होने बितायी पूरी रात

रौशनी बनाये रखने की कोशिश में
रात भर खुद को जलाते रहे
पठाखो की आवाज़ों पर थरथराते रहे
हवा के थपेड़ों को सह कर भी मुस्कुराते रहे

हाँ ये सच है की भगवान राम ने एक बार...
लंका पर विजय पाई थी,
पर ये तो न जाने कबसे जीतते आ रहे है

तो आइये मनाते है इनका विजय पर्व
शुभ दीपावली