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मैंने देखे हैं कई बार
पानी के बुलबुलों पर
ठहरे हुए इन्द्रधनुष
पर वो रुकते नहीं होते
हल्की सी थिरकन के साथ
टहलते है उस नन्हे से बुलबुले में
बचपन से बहुत लुभाते हैं मुझे
घंटो निहारा है इन्हें
साबुन का झाग बना कर
बड़े से बड़ा बुलबुला बनाने की कोशिशें
और कोशिशों में कामयाब होने की ख़ुशी
सच है ख़ुशी का कोई मोल नहीं
कभी मुफ्त में खुशियों का ढेर
तो कभी नोटों के ढेर में भी
ख़ुशी नदारत