छोटी छोटी ख्वाहिशें लिख लेती थी
कागज़ की रंग बिरंगी पुर्चियों पर
और लिखते लिखते जमा होता गया
पुर्चियों का खज़ाना
पर आज की बारिश न जाने
क्या कह गयी धीरे से कानो में
और उन पुर्चियों से
नन्ही नन्ही नाव बनाकर
बहा दी मैंने खिलखिलाते पानी में
ये सोच कर की
ख्वाहिशें और सपने
समेट कर रखने से नहीं
आजाद छोड़ देने से पूरे होते हैं
और उन रंग बिरंगी पुर्चियों से
बनी इन्द्रधनुषी नावें
चल पड़ी हैं अपनी अपनी धाराएँ
अपनी अपनी मंजिले तलाशने
आज ख्वाहिशें और सपने आजाद हैं
और लहरों का पानी रंगीन
शायद मिल जाये उन्हें
अपना आसमान, अपनी ज़मीन.
कागज़ की रंग बिरंगी पुर्चियों पर
और लिखते लिखते जमा होता गया
पुर्चियों का खज़ाना
पर आज की बारिश न जाने
क्या कह गयी धीरे से कानो में
और उन पुर्चियों से
नन्ही नन्ही नाव बनाकर
बहा दी मैंने खिलखिलाते पानी में
ये सोच कर की
ख्वाहिशें और सपने
समेट कर रखने से नहीं
आजाद छोड़ देने से पूरे होते हैं
और उन रंग बिरंगी पुर्चियों से
बनी इन्द्रधनुषी नावें
चल पड़ी हैं अपनी अपनी धाराएँ
अपनी अपनी मंजिले तलाशने
आज ख्वाहिशें और सपने आजाद हैं
और लहरों का पानी रंगीन
शायद मिल जाये उन्हें
अपना आसमान, अपनी ज़मीन.