चाँद गम से चूर होकर अश्क टपकाता रहा
और सब कहते रहे ये चांदनी की रात है
बात जैसी दिख रही है हो हकीकत में वही
ये तो बस गफलत है, तेरी कम अकल की बात है
किस्मत के धोबी ने हमकोहर पत्थर पर जमकर धोया
गर्दन करके कलम मेरी
वो बोले ये क्यों कम है रोया
मेरा सपना डर के मारेरातों को भी रहता सोयाहमने बड़ी ख़ुशी सेहर एक बोझ जिंदगी का है ढोया
ग़ालिब होते तो कहतेमेरा गम भी कोई गम था मोया