Thursday, July 30, 2009

चमकती चुभन से बेहतर झिलमिलाती छुअन है

सब जानते है सूरज की रौशनी के आगे कोई नही टिक पाया...
उसके जैसा उजाला किसी ने नही फैलाया ….
पर फिर भी अँधेरी रातों में
टिमटिमाते जुगनू , झिलमिलाते दिए और तारों की कतारें
क्या दिल को नही लुभाती ?
क्या उनकी सुकून देती रौशनी कुछ एहसास नही जगाती ?
क्यों लोग रूमानी बातें candle light में बताते है ?
क्यों मन के अंदरूनी जज़्बात अंधेरे में ही जगमगाते है ?
क्योंकि चमकती चुभन से बेहतर झिलमिलाती छुअन है
हर दमकती रौशनी के पीछे
छाता लगाकर बैठा हुआ एक नटखट सा मन है
जो चाहता है थोड़ा सा अँधेरा जिसमे वो कर सके मनमानी
और दुनिया न जान पाए उसकी खुराफातों की कहानी

Tuesday, July 28, 2009

टूटा हुआ पत्ता

पेड़ से टूट कर गिरे
सूखे पीले पत्ते की तरह
मै ज़मीन पर पड़ी
हवा के झोंको से थरथराती
कांपती और सहम कर
हवा के थपेडों से खिसक कर
किसी कोने में सरक जाती
और सोचती की किसी दिन
कोई लम्हा चरमरा कर चला जाएगा
मेरी इस कमज़ोर सी पहचान को
लेकिन किसे पता था
की किसी कोई प्यार से भरा हुआ दिल
और नर्म सी हथेलियों से मुझे उठाकर
रख देगा किसी रोमांटिक सी नोवेल के बीच
और मै उन प्यार भरे लफ्जों के सहारे
फिर से हरी हो जाउंगी .

Wednesday, July 22, 2009

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