Tuesday, July 28, 2009

टूटा हुआ पत्ता

पेड़ से टूट कर गिरे
सूखे पीले पत्ते की तरह
मै ज़मीन पर पड़ी
हवा के झोंको से थरथराती
कांपती और सहम कर
हवा के थपेडों से खिसक कर
किसी कोने में सरक जाती
और सोचती की किसी दिन
कोई लम्हा चरमरा कर चला जाएगा
मेरी इस कमज़ोर सी पहचान को
लेकिन किसे पता था
की किसी कोई प्यार से भरा हुआ दिल
और नर्म सी हथेलियों से मुझे उठाकर
रख देगा किसी रोमांटिक सी नोवेल के बीच
और मै उन प्यार भरे लफ्जों के सहारे
फिर से हरी हो जाउंगी .

8 comments:

  1. gosh!!!! u so romantic...BEAUTIFUL..!!!ishpreet

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  2. बहुत ही बढ़िया।
    -----------
    आपकी इस पोस्ट की हलचल आज यहाँ भी है

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  3. बेहद खूबसूरत अभिव्यक्ति. आभार.
    सादर,
    डोरोथी.

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  4. लेकिन किसे पता था
    की किसी कोई प्यार से भरा हुआ दिल
    और नर्म सी हथेलियों से मुझे उठाकर
    रख देगा किसी रोमांटिक सी नोवेल के बीच
    और मै उन प्यार भरे लफ्जों के सहारे
    फिर से हरी हो जाउंगी .

    बहुत खूबसूरत अभिव्यक्ति

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  5. अच्छी प्रस्तुति बधाई |
    आशा

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