आदमी ने फर्क बतलाया न होता गर हमें...
तुम बताओ फर्क क्या था रब, खुदा या राम में?
रो के हमसे आसमान ने कह दी अपने दिल की बात...
अब नहीं रहता कोई रब तीर्थों और धाम में.
Wednesday, September 29, 2010
Thursday, September 23, 2010
साजिशें
मन उदास है
और गुलाब के पत्तों पर
थमी हुई सुनहरी बूंदे
देख लग रहा है
आसमान भी बहुत रोया है शायद आज
वैसे ही जैसे रो उठती हूँ
मै मन ही मन
जब सारी कोशिशों के बाद भी
जीत जाती हैं साजिशें
और हार जाती है
मेहनत और ईमानदारी
किसने कहा सियासत
सिर्फ सियासी गलियारों में
सफ़ेद पोशों के बीच ही होती है
मैंने देखी है सियासत
हँसते मुस्कुराते चेहरों के पीछे
आपकी कमज़ोर नब्ज़ ढूँढती हुई
निगाहों के बीच
और गुलाब के पत्तों पर
थमी हुई सुनहरी बूंदे
देख लग रहा है
आसमान भी बहुत रोया है शायद आज
वैसे ही जैसे रो उठती हूँ
मै मन ही मन
जब सारी कोशिशों के बाद भी
जीत जाती हैं साजिशें
और हार जाती है
मेहनत और ईमानदारी
किसने कहा सियासत
सिर्फ सियासी गलियारों में
सफ़ेद पोशों के बीच ही होती है
मैंने देखी है सियासत
हँसते मुस्कुराते चेहरों के पीछे
आपकी कमज़ोर नब्ज़ ढूँढती हुई
निगाहों के बीच
Monday, September 20, 2010
ऐसा नहीं की याद कुछ रहता नहीं
Friday, September 17, 2010
Monday, September 13, 2010
मसरूफियत
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