Wednesday, September 29, 2010

फर्क क्या था रब, खुदा या राम में?

आदमी ने फर्क बतलाया न होता गर हमें...
तुम बताओ फर्क क्या था रब, खुदा या राम में?
रो के हमसे आसमान ने कह दी अपने दिल की बात...
अब नहीं रहता कोई रब तीर्थों और धाम में.

Thursday, September 23, 2010

साजिशें

मन उदास है
और गुलाब के पत्तों पर
थमी हुई सुनहरी बूंदे
देख लग रहा है
आसमान भी बहुत रोया है शायद आज

वैसे ही जैसे रो उठती हूँ
मै मन ही मन
जब सारी कोशिशों के बाद भी
जीत जाती हैं साजिशें
और हार जाती है
मेहनत और ईमानदारी

किसने कहा सियासत
सिर्फ सियासी गलियारों में
सफ़ेद पोशों के बीच ही होती है
मैंने देखी है सियासत
हँसते मुस्कुराते चेहरों के पीछे
आपकी कमज़ोर नब्ज़ ढूँढती हुई
निगाहों के बीच

Monday, September 20, 2010

ऐसा नहीं की याद कुछ रहता नहीं




ऐसा नहीं की याद कुछ रहता नहीं
आँखों से कुछ मेरी कभी बहता नहीं
जब खिलखिलाती हूँ भरी महफ़िल में मै
तब दर्द का कुछ बोझ दिल सहता नहीं

Friday, September 17, 2010

दर्द देखा जब तुम्हारा गर्द सा सबकुछ लगा
गुनगुनी सी शाम में भी सर्द सा सबकुछ लगा

Monday, September 13, 2010

मसरूफियत


मसरूफियत कुछ इस कदर हम पर फ़िदा है
अब चैन के लम्हे हुए हमसे जुदा हैं

हम इश्क भी करते हैं यूँ पाकीज़गी से
के हुस्न के तेवर हुए हमसे खफा हैं

हमको नहीं आते बनाने झूठे वादे
लोगो को लगता है की हम तो बेवफा है

चाहे जो सोचो कुछ असर हमपर न होगा
हूँ क्या मै, मेरे रब - खुदा को सब पता है