![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEi4WtwE5GhoRaYzJImkZiLSpaj19QxgL_-BUicjsEkkEr_Ub9iWsNWWyFn68x38h29rWTzXdtq28T94LIJOf8sOj5dx2QIVP4hSPzFnXon6Pa1_MInzkvUp1yyTRCo72AmiTYF3id-TFROl/s320/tree_of_love.jpg)
चाहत के दरख्तों पर
कुछ ख्वाब उगे हैं
कुछ कच्चे हैं, खट्टे हैं
कुछ बढ़ के झुके हैं
कुछ टूट कर गिरे हैं
उगने के साथ ही
कुछ हैं अभी डाली पर
बढ़ने को रुके हैं
कुछ पत्तियों से हल्के
झोकों से ढह गए
कुछ ओस में भीगे और
बारिश में बह गए
कुछ ने रुलाया इतना
की नम हुआ मौसम
कुछ लब बिना हिलाए
हर बात कह गए
कुछ झेल कर तपिश को
मुरझाने लगे हैं
कुछ मुस्कुरा कर सारे
तूफ़ान सह गए