Tuesday, January 17, 2012
कुछ यादें कभी नहीं गुज़रती
आज फिर गुजरी हूँ
गोमती के उसी पुल से
जहाँ से आप और मै
सालों तक गुज़रते रहे
आपकी साईकिल पर आगे बैठी मै
दो चोटी और छोटी सी फ्राक पहने
पूछती रहती थी दुनिया भर के सवाल
छोटी छोटी बातों पर मचाती थी बवाल
और आप देते थे बिना थके सारे जवाब
कभी सच्ची बातें, कभी झूठे से ख्वाब
आज भी वही गोमती का किनारा
वही सड़कें वही नज़ारा
किनारे पर लगे हुए वही पेड़
वही बहती हुई नदी, वही मेड़
साईकिल की जगह कार है
परिवार का ढेर सारा प्यार है
आज मै बच्ची नहीं माँ हूँ
ढेर सारे रिश्तों का मान हूँ
सबकुछ है वैसा ही जैसा होना चाहिए
पर ये रास्ता आज भी रुलाता है
आपकी याद दिलाता है
वक़्त गुज़र गया पापा
पर कुछ यादें कभी नहीं गुज़रती
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सबकुछ है वैसा ही जैसा होना चाहिए
ReplyDeleteपर ये रास्ता आज भी रुलाता है
आपकी याद दिलाता है
वक़्त गुज़र गया पापा
पर कुछ यादें कभी नहीं गुज़रती
अपनों के साथ बिताया हुआ "समय" कुछ यादे छोड़ ही जाता हैं...
ये कविता, पिता जी के साथ बिताये उन हसीं पलों को जहन में तजा कर देती है |
मैं आपको मेरे ब्लॉग पर सादर आमन्त्रित करता हूँ.....
बहुत सुन्दर रचना है।
ReplyDeleteयादें हैं जो कभी नहीं गुज़रतीं .. प्यारी और कोमल भाव कि रचना
ReplyDeleteमेरे उल्लास में जीवित,मेरे उच्छ्वास में जीवित,
ReplyDeleteपिता स्मृति नहीं हो तुम,मेरी हर सांस में जीवित....
सभी कहते हैं मैं बस, हू-ब-हू हूँ आपके जैसा,
मेरे अंदाज़ में जीवित,मेरी हर बात में जीवित......
ये बेटे तो पिता की शेष,संकल्पों की थाती हैं,
मेरी उपलब्धि के खिलते,हुए आह्लाद में जीवित....
तुम्हें खोकर भी तुमको,पा गया हूँ अपने प्राणों में,
पिता तुम मेघ बनकर हो,मेरे आकाश में जीवित......
हो मेरे जोश में जीवित,मेरे आक्रोश में जीवित,
मेरे उपहास में जीवित,मेरे परिहास में जीवित.....
(डॉ. राजीव शर्मा)
बहुत सुंदर मन के भाव ..शुभकामनाएं.
ReplyDeletekuch yaaden ungli thaame saath chalti hai ...
ReplyDeleteनाज़ुक से अहसास ...कितना कुछ ले आए पास दिल के ...
ReplyDeleteसच है....कुछ यादें गुजर जाये तो तकलीफ देंगी शायद...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर.
छू गयी आपकी ये रचना, बहुत सराहना!
ReplyDeleteबचपन की यादे ....बहुत खूब
ReplyDeleteबेहतरीन।
ReplyDeleteसादर
यादें ही जीवन का खजाना है यादें न हो तो जीवन बेमाना है मार्मिक प्रस्तुति
ReplyDeleteपर ये रास्ता आज भी रुलाता है
ReplyDeleteआपकी याद दिलाता है
वक़्त गुज़र गया पापा
पर कुछ यादें कभी नहीं गुज़रती
बहूत बेहतरीन मार्मिक रचना है
स्मृतियों को अच्छे शब्द दिए हैं आपने. लिखती रहें. शुभकामनाएं.
ReplyDeleteवाह..... बिलकुल सेंसिटिव कविता.....
ReplyDeleteबधाई ...
मेरी नयी कविता तो नहीं उस जैसी पंक्तियाँ "जोश "पढने के लिए मेरे ब्लॉग पे आयें...
http://dilkikashmakash.blogspot.com/
Beautiful as always.
ReplyDeleteIt is pleasure reading your poems.