Wednesday, September 28, 2011

भूख जब हो जोर की तो चाँद भी रोटी दिखे...:)

जाने क्यों हर गम बड़ा

और हर ख़ुशी छोटी लगे

खुद का दिल जब साफ़ न हो

हर नियत खोटी लगे

हो ज़हन में जो भी

दिखता है वही हर एक जगह

भूख जब हो जोर की

तो चाँद भी रोटी दिखे...:)

Saturday, September 24, 2011

कुछ लिखा कुछ अनलिखा सा रह गया


कुछ लिखा कुछ अनलिखा सा रह गया
वक़्त का हर वार हँस कर सह गया
हाँ बहुत भारी था, वो लम्हा मगर
अश्क की एक बूँद के संग बह गया

ख्वाब जो देखा था मैंने रातभर
सुबह की पहली किरण संग ढह गया
कुछ भी हो पर हौसला मत हारना
घोंसला बुनता परिंदा कह गया

Sunday, September 4, 2011

आज की ताज़ा खबर


हाथों में थी चाय गरम
मौसम भी था बहुत नरम
तभी सुना बारिश का शोर
कपडे छत पर, भागी जोर
लेकर मै कपड़ों का ढेर
भागी नहीं लगायी देर
सीढ़ी पर जब रखा पैर
फिसली, गयी हवा में तैर
गिरी फर्श पर हुई धडाम
कैसे पूरा होगा काम ...:(