जाने क्यों हर गम बड़ा
और हर ख़ुशी छोटी लगे
खुद का दिल जब साफ़ न हो
हर नियत खोटी लगे
हो ज़हन में जो भी
दिखता है वही हर एक जगह
भूख जब हो जोर की
तो चाँद भी रोटी दिखे...:)
Wednesday, September 28, 2011
Saturday, September 24, 2011
कुछ लिखा कुछ अनलिखा सा रह गया
Sunday, September 4, 2011
आज की ताज़ा खबर
हाथों में थी चाय गरम
मौसम भी था बहुत नरम
तभी सुना बारिश का शोर
कपडे छत पर, भागी जोर
लेकर मै कपड़ों का ढेर
भागी नहीं लगायी देर
सीढ़ी पर जब रखा पैर
फिसली, गयी हवा में तैर
गिरी फर्श पर हुई धडाम
कैसे पूरा होगा काम ...:(
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