गुजारिश है उनको ख़बर कर दे मौला...
जिन्हें आजतक ये ख़बर हो न पाई ;
खुदा एक सबका, खुदा नेक सबका ...
इसी सोच में है सभी की भलाई .
हर लम्हा घुलता जाता है...
कच्चे रंग की दीवारों सा बारिश में घुलता जाता है।
हर लम्हा उड़ता जाता है...
आवारा क़दमों के जैसा अनजान गली मुड़ जाता है।
हर लम्हा कुछ कुछ कहता है...
कोशिश रुकने की करता है फिर भी ये बहता रहता है।
हर लम्हा ख्वाब सजाता है...
कुछ पूरे भी हो जाते हैं, कुछ आधा सा रह जाता है।
हर लम्हा अंजाना सा है...
पल में पहचान बढाता है, आता है और खो जाता है।
हर लम्हे को जी कर देखा...
और जाना इसका जाना है, क्यों अपना इसको माना है।
जी लो जी भरकर अभी इसे...
ये वापस फिर न आना है, खोने से पहले पाना है.