Tuesday, September 30, 2014

आज फिर एक साँस टूटी
फिर उगा तारा कोई
ज़िंदगी पायी किसी ने
मौत से हारा कोई।
था बड़े मीठे से दिल का
अश्क़ अब खारा कोई
फिर रहा है आसमान में
बन के आवारा कोई
हम तो अपने अश्क़
कागज़ पर बहा लेते हैं पर
छुप के तनहा रो रहा है
दर्द का मारा कोई
- रंजना डीन

Thursday, September 18, 2014

ज़िंदगी के साथ रिश्ता यूँ निभाना चाहिए 
करके दिल का बोझ हल्का मुस्कुराना चाहिए 

रूठ जाने पर निकल जाना अकेले दूर तक 
रात गहराने से पहले लौट आना चाहिए 

गैर मुमकिन है की हर झोकें में हो ठंडी हवा 
खुश्क से पत्तों के संग कुछ धूल आना चाहिए 

हर किसी के साथ हैं दुश्वारियों के सिलसिले 
हल न हो पाएं जो मसले, भूल जाना चाहिए 

- रंजना डीन 

Wednesday, September 17, 2014

उन्हें हम छोड़ आये हैं समुन्दर के किनारे 

जिन्हे देखा था शामिल कश्तियाँ डुबोने में

बारिशें ज़ोर की आने को हैं, वो तनहा हैं

कश्ती कागज़ की हम भी बांध आये कोने में


- रंजना डीन