Thursday, March 28, 2013

सलीके कौन रखे याद खुराफातों में 
जिंदगी बीतती हैं चंद मुलाकातों में 
चाँद भी झाँक न पाया था जिसकी खिड़की में 
वो मच्छर रोक न पाया कभी भी रातों में...:)...;)...:D

Sunday, March 24, 2013



















ऐसा रंग बना दे मौला 
इंसा इंसा नेक दिखे 
शैतां सारे डूब मरे 
और दुनिया सारी एक दिखे 

Happy Holi to all....:)

Monday, March 11, 2013





























बचपन

मै खोल कर बैठी हूँ बचपन का पिटारा
जुगनू हैं ढेरों और एक नन्हा सितारा

कुछ फूल हरसिंगार के सूखे पड़े हैं
जो बिन फुलाए रह गया, वो एक गुब्बारा

गुडिया का एक बिस्तर भी था अब याद आया
माचिस पे कपडा बांध कर तकिया बनाया

पापा ने जब मुझको पलंग ला कर दिया न
एक मोटी सी किताब पर गद्दा लगाया

गुडिया के कपड़ों की थी एक गठरी बनायीं
एक घर भी था उसका, हुई उसकी सगाई

माँ जब भी सिलती थी कोई भी फ्रोक मेरी
गुडिया के कपड़ों की मै करती थी सिलाई

मुझको अभी भी याद है की माँ ने मेरी
मेरे लिए मिटटी की एक चिड़िया बनायीं

और लाल पीले रंग से रंग था उसको
और दाल के दाने से थी आंखे बनायीं

एक बार गुस्से में पटक दी थी वो चिड़िया
जब टूट कर दो हो गयी रोई बहुत मै

फिर फेंक कर टूटे हुए टुकड़ों को उसके
रोई थी मै, शायद तभी सोयी बहुत मै

जागी तो देखा भीगते बारिश में टुकड़े
रंगों को अपने छोड़ते थे लाल पीले

ये देख कर उस दिन सुबक सी मै उठी थी
और हो गए थे आँखों के कोरे पनीले

न जाने कितनी और भी यादें है ताज़ा
कितनी कहानी और कितने रानी राजा

दिल बोल पड़ता है अभी भी ऊबने पर
तू हैं कहाँ बचपन? पलट के वापस आ जा