सलीके कौन रखे याद खुराफातों में
जिंदगी बीतती हैं चंद मुलाकातों में
चाँद भी झाँक न पाया था जिसकी खिड़की में
वो मच्छर रोक न पाया कभी भी रातों में...:)...;)...:D
जिंदगी बीतती हैं चंद मुलाकातों में
चाँद भी झाँक न पाया था जिसकी खिड़की में
वो मच्छर रोक न पाया कभी भी रातों में...:)...;)...:D
वाह वाह जी वाह वाह ! भई बहुत अच्छे । जारी रहिए जी
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टी की चर्चा शनिवार (30-3-2013) के चर्चा मंच पर भी है ।
ReplyDeleteसूचनार्थ!
machhar ko kyon bula liya :))
ReplyDeleteबहुत सुन्दर....होली की हार्दिक शुभकामनाएं ।।
ReplyDeleteपधारें कैसे खेलूं तुम बिन होली पिया...