हवा के परों पर
है मेरी धरोहर
कहाँ कब तलक है
ये कैसे बताऊँ
हर एक रास्ता
मुझको अपना लगे है
किसे मोड़ समझू
मै किस राह जाऊं
भरे है खजाने
कई चाहतों के
मै सबको बता दूँ
या सबसे छुपाऊँ
जो यादें पलट कर
दिखाती है चेहरा
उन्हें याद रखूं
या फिर भूल जाऊं
मुझे देखकर
उनकी पलकें हुई नम
उन्हें चूम लूँ
या गले से लगाऊं
मुझे जिंदगी ने
सिखाया बहुत कुछ
है अब वक़्त आया
उन्हें आजमाऊं
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खूबसूरत !
ReplyDeleteLearnings: भिखारी का धर्मसंकट
मुझे जिंदगी ने
ReplyDeleteसिखाया बहुत कुछ
है अब वक़्त आया
उन्हें आजमाऊं ...
सच है जो सीखा हो उसे जरूर आजमाना चाहिए ... अच्छा लिखा है ...
जो यादें पलट कर
ReplyDeleteदिखाती है चेहरा
उन्हें याद रखूं
या फिर भूल जाऊं ... यह सवाल आंखमिचौली खेलती है
चाहतों के खजाने................छुपा कर रखिये....
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना
बधाई रंजना जी.
मुझे देखकर
ReplyDeleteउनकी पलकें हुई नम
उन्हें चूम लूँ
या गले से लगाऊं
बहुत खूब ... एहसास को भरपूर संजोया है
सुंदर गीत
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