Saturday, January 26, 2013


















आज़ादी 

संकीर्ण सोच से 
दंगों से - रोष से 
स्वार्थी राजनीती से 
पिछड़ी कुरीति से
कुपोषित बचपन से 
रिश्वत के अजगर से 
झूठ से मक्कारी से 
भूख से लाचारी से 
बे रोशन रातों से 
जहरीली घातॊ से 
गन्दी मानसिकता से 
टूटती एकता से 

                 -रंजना डीन  

4 comments:

  1. यही तो सच्ची आज़ादी है....

    सशक्त रचना..
    अनु

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  2. This comment has been removed by the author.

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  3. azaadi mubarak ho...

    yeh rachna to har bharat niwasi ka sankalp honi chaiye....

    prabhavshali

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