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आज़ादी
संकीर्ण सोच से
दंगों से - रोष से
स्वार्थी राजनीती से
पिछड़ी कुरीति से
कुपोषित बचपन से
रिश्वत के अजगर से
झूठ से मक्कारी से
भूख से लाचारी से
बे रोशन रातों से
जहरीली घातॊ से
गन्दी मानसिकता से
टूटती एकता से
-रंजना डीन
सुंदर रचना |
ReplyDeleteयही तो सच्ची आज़ादी है....
ReplyDeleteसशक्त रचना..
अनु
This comment has been removed by the author.
ReplyDeleteazaadi mubarak ho...
ReplyDeleteyeh rachna to har bharat niwasi ka sankalp honi chaiye....
prabhavshali