तुम्हारे लिए
तुम्हे लगता है
तुम्हे लगता है
भूल गयी तुम्हे मै
तुम्हारी तड़प से
अनजान हूँ मै
और छोड़ दिया तुम्हे
भाग्य के सहारे
लेकिन सब जानती हूँ मै
और चाहती हूँ
तुम्हारे सब दुःख हरना
लेकिन तुम्हारे सुख का
हर एक छोर
मेरी उँगलियों में बंधे
धागों पर आकर
ठहर जाता है
जैसे नाचती है कठपुतली
धागों की मर्ज़ी से बंधी हुई
काट दो धागे
निर्बाध उडो, बहो, फिसलो, थिरको
नाचो और दौड़ पड़ो
तुमसे अलग मै कभी नहीं
तुम्हारे अन्दर बसी मै
तुम्हे देखती हूँ हर पल
और मानती हूँ ईश्वर से
हर पल एक नयी ख़ुशी
तुम्हारे लिए
सुन्दर रचना । स्वागत है ।
ReplyDeleteतुमसे अलग मै कभी नहीं
ReplyDeleteतुम्हारे अन्दर बसी मै
तुम्हे देखती हूँ हर पल
और मानती हूँ ईश्वर से
हर पल एक नयी ख़ुशी
तुम्हारे लिए..... क्योंकि वही मेरी ख़ुशी है