Tuesday, November 13, 2012
















सोंधी सी मिटटी के तपे हुए दीपक में 
सुनहरी लौ आज फिर जगमगाई है 
रंगोली रंगों की, मनचाहे ढंगों की 
हर घर की चौखट पर फिर मुस्कुरायी है 
घनघोर काली सी एक रात पर 
फिर से नन्हे से दीपक ने जीतकर दिखाई है
मित्रो को, सखियों को, गैरों को अपनों को
छोटो को - बडको को, सबको बधाई है

10 comments:

  1. बहुत सुंदर..आपको भी बधाई..

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  2. वाह ... बहुत ही बढिया ...
    बधाई सहित शुभकामनाएं

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  3. बेहद सुन्दर शुभकामना सन्देश ..आपको भी ढेरों शुभ कामनाएं !!!!

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  4. तम हरने के वास्ते, खुद को रहा जलाय।
    दीपक काली रात को, आलोकित कर जाय।

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  5. .......सुन्दर रचना...बहुत बहुत बधाई !

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  6. सुन्दर बधाई सन्देश

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  7. जय मां हाटेशवरी...
    अनेक रचनाएं पढ़ी...
    पर आप की रचना पसंद आयी...
    हम चाहते हैं इसे अधिक से अधिक लोग पढ़ें...
    इस लिये आप की रचना...
    दिनांक 06/11/2018
    को
    पांच लिंकों का आनंद
    पर लिंक की गयी है...
    इस प्रस्तुति में आप भी सादर आमंत्रित है।

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  8. सुंदर शुभकामनाऐं प्रेसित करता लघु काव्य दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं,आपको भी ।

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