सोंधी सी मिटटी के तपे हुए दीपक में
सुनहरी लौ आज फिर जगमगाई है
रंगोली रंगों की, मनचाहे ढंगों की
हर घर की चौखट पर फिर मुस्कुरायी है
घनघोर काली सी एक रात पर
फिर से नन्हे से दीपक ने जीतकर दिखाई है
मित्रो को, सखियों को, गैरों को अपनों को
छोटो को - बडको को, सबको बधाई है
मित्रो को, सखियों को, गैरों को अपनों को
छोटो को - बडको को, सबको बधाई है
Aap ko bhi badhai hai
ReplyDeleteबहुत सुंदर..आपको भी बधाई..
ReplyDeleteवाह ... बहुत ही बढिया ...
ReplyDeleteबधाई सहित शुभकामनाएं
बेहद सुन्दर शुभकामना सन्देश ..आपको भी ढेरों शुभ कामनाएं !!!!
ReplyDeleteतम हरने के वास्ते, खुद को रहा जलाय।
ReplyDeleteदीपक काली रात को, आलोकित कर जाय।
बहुत सुन्दर रचना ।
ReplyDeleteஜ●▬▬ஜ۩۞۩ஜ▬▬●ஜ
ब्लॉग जगत में नया "दीप"
ஜ●▬▬ஜ۩۞۩ஜ▬▬●ஜ
.......सुन्दर रचना...बहुत बहुत बधाई !
ReplyDeleteसुन्दर बधाई सन्देश
ReplyDeleteजय मां हाटेशवरी...
ReplyDeleteअनेक रचनाएं पढ़ी...
पर आप की रचना पसंद आयी...
हम चाहते हैं इसे अधिक से अधिक लोग पढ़ें...
इस लिये आप की रचना...
दिनांक 06/11/2018
को
पांच लिंकों का आनंद
पर लिंक की गयी है...
इस प्रस्तुति में आप भी सादर आमंत्रित है।
सुंदर शुभकामनाऐं प्रेसित करता लघु काव्य दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं,आपको भी ।
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