
याद की सियाही
याद की गहरी सियाही
फिर टपक कर बह रही है
कागजों पर भूली बिसरी
बात फिर से कह रही है
चुभ रही है निब की पैनी धार
इसके तन बदन पर
ज़ख्म ये सदियों से सहकर
बात अपनी कह रही है
- रंजना डीन

उम्दा ,भावपूर्ण अभिव्यक्ति ।
ReplyDeleteयादों की ये गहरी स्याही मिट्टी नहीं कभी ...
ReplyDeleteउम्दा ...
sundar ..ye sadiyon ka safar hai..
ReplyDeleteबहुत ही बेहतरीन अभिव्यक्ति,आभार.
ReplyDelete"महिलाओं के स्वास्थ्य सम्बन्धी सम्पूर्ण जानकारी
"
भावपूर्ण अभिव्यक्ति ।
ReplyDeletelatest post सजा कैसा हो ?
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