Saturday, April 10, 2010

चेहरे

थक गयी हूँ देखती हूँ रोज़
कुछ झूठे से चेहरे
लाख कोशिश करके भी दिखतें हैं
वो रूठे से चेहरे
चापलूसी का जिसे है ज्ञान
उस चेहरे की कीमत
जिसको बस है काम से ही काम
वो टूटे से चेहरे

6 comments:

  1. tathy ko ujagar karatee ek dil se likhee rachana.

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  2. थक गयी हूँ देखती हूँ रोज़
    कुछ झूठे से चेहरे
    अच्छी अभिव्यक्ति झूठे चेहरे दिखते ही रहते हैं

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  3. चापलूसी का जिसे है ज्ञान
    उस चेहरे की कीमत
    जिसको बस है काम से ही काम
    वो टूटे से चेहरे


    bahut sundar rachna

    shekhar kumawat

    http://kavyawani.blogspot.com/

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  4. bahut khoobsoorat....

    http://dilkikalam-dileep.blogspot.com

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