मै पलभर की चकाचौध सी....
आसमान की कड़क कौंध सी,
बारिश की बूंदों संग बहती...
चुप चुप रह कर सबकुछ कहती.
कभी किताबों में उलझी सी...
कभी भ्रमित, कभी सुलझी सी.
कभी चटक चुलबुली खनक सी...
कभी शहद और कभी नमक सी.
ओस में भीगी हरियाली सी,
कभी भरी, कभी ख़ाली सी.
कभी उछ्ल कर चाँद पकडती...
मस्त, मगन और मतवाली सी.
कभी जूझती कंप्यूटर पर...
व्यस्त, घमंडी अधिकारी सी.
कभी डालती सिर पर पल्लू ,
भोली, सुघड़, सरल नारी सी.
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भावपूर्ण पूरे प्रवाह में.
ReplyDeleteAPNE AP KO, APNE HONE KE EHSAAS KO BAHUT SARAL SHABDON MEION UTAARA HAI .... ACHHAA LAGA YE ANDAAZ ...
ReplyDeletebahut halkee pulkee apane ehsaaso par roshnee daltee pyaree rachana.
ReplyDeleteBeautiful!
ReplyDeletegood presentation...
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