आपके जाने के बाद
ऐसे कितने लम्हे आये
जब लगा काश आप साथ होते
शायद आप ख़ुशी से नाच उठते
फक्र से सर उठाते
और सबको ख़ुशी का राज़ बताते
आपके जाने के बाद
कितनी रातें आपकी यादें
और मेरे आंसू संग बहे
और जिंदगी छुप गयी न जाने किस कोने में
की ढूँढने पर भी नहीं मिलती
आपके जाने के बाद
लगा छत छीन ली किसी ने
सबसे कीमती चीज़ चुरा ले गया कोई
और बदले में दे गया
ढेर सरे आंसुओ की सौगात
आपके जाने के बाद
मुझे एहसास हुआ
आपसे ज्यादा प्यार मुझे किसी ने नहीं किया
मुझसे ज्यादा खुशकिस्मत कोई नहीं था
क्योंकि मुझे आपका साथ मिला था
आपके जाने के बाद
जब आपको ज़मीन पर लिटाया गया
तब मै आपका बाया हाथ पकड़ कर
पूरे वक़्त बैठी रही
की शायद आप पहले की तरह कहो
रंजू जरा हाथ पकड़ कर बैठा दो
आपके जाने के बाद
मै सोच रही हूँ
आपका खून मेरी रगों में दौड़ रहा है
आपका प्यार मेरे ज़हन में बसा है
मेरा शरीर आपकी देन है
मेरी आँखों में आपका चेहरा है
फिर आप क्यों नहीं हो
पापा आपके बिना
आपकी ये बेटी अकेली रह गयी
इतने सालो से मैंने किसी को पापा नहीं कहा
आज पता चलता है की पापा शब्द कितना प्यारा है.
आपके जाने के बाद
एक दिन मै उस हस्पताल में गयी
जहाँ कभी आपका इलाज हुआ था
उस वार्ड के उस बेड तक गयी
जहा आप लेते या बैठे मिलते थे
और सोचती रही
काश आप यूँ ही मिलते बैठे हुए
और मै जल्दी से आपका हाथ पकड़कर
आपको घर ले आती
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Ranjna ji,
ReplyDeleteapki yah kavita achchhi lagi badhai. Asal men,
Pita jeevan hai sambal hai shakti hai;
Pita srishti ke nirman ki abhivyakti hai.
Pita anguli pakade bachche ka sahara hai,
Pita kabhi meetha to kabhi khara hai.
Pita roti hai kapada hai makan hai;
Pita chhote se parinde ka bada sa aasmaan hai.
Bahut bahut badhai.
Chandrabhan Bhardwaj
्रंजना जी बहुत मार्मिक कविता है। आँखें नम हो गयी पिता शायद बेटी के सब से अधिक करीब होते हैं। उन्हें खोना जीवन मे एक रिक्तता तो भर ही देता है । मगर एक दिन तो उन्हें जाना ही होता है । इस सदमे को सहने की शक्ति भगवान दे बहुत बहुत शुभकामनायें
ReplyDeletebahut hi maarmik rachna hai...
ReplyDeleteinsaan ko khone ka dukh wahi samjh sakta hai jo insaan khota hai
बेहतरीन रचना.
ReplyDeleteaankhe nam ho aaee hai man me bhee ajeeb sa bhareepan mahsoos ho rahaa hai .
ReplyDeleteये रचना भी तो उसकी बिरह की देन है।
ReplyDeleteअति मार्मिक...भावपूर्ण!!
ReplyDeleteरंजना जी,
ReplyDeleteआप की कविता बहुत भावुक. कितने मार्मिक शब्दों में वेदना का वर्णन किया है आप ने..
आपके जाने के बाद
लगा छत छीन ली किसी ने
सबसे कीमती चीज़ चुरा ले गया कोई
और बदले में दे गया
ढेर सरे आंसुओ की सौगात
आपके जाने के बाद
मुझे एहसास हुआ
आपसे ज्यादा प्यार मुझे किसी ने नहीं किया
मुझसे ज्यादा खुशकिस्मत कोई नहीं था
क्योंकि मुझे आपका साथ मिला था
दिल को छू गए आप की रचना
आशु
आपके जाने के बाद
ReplyDeleteमुझे एहसास हुआ
आपसे ज्यादा प्यार मुझे किसी ने नहीं किया
मुझसे ज्यादा खुशकिस्मत कोई नहीं था
क्योंकि मुझे आपका साथ मिला था...
मार्मिक ........ प्रेम की जिस सीडी पर आपकी रचना है ....... शायद वहाँ पहुँचना आसान नही ....... बहुत दिल को छू जाने वाली रचना है ..........
touching words...
ReplyDeletehar shabd marm ke bhavon se bhara hai.
ReplyDeleteReading your poem coinciding with the first Death anniversary of the mom and to whom , like every one else, was much attached felt the loss all over again. Indescribable feelings arose and had to be controlled: societal pressures.you have an uncanny gift of going for the juglar vein through simplest of words something which must be learnt from you.
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