गजलों के मौसम हमने भी देखे है
ख्वाब गुलाबी से हमने भी देखे हैं
पर मौसम तो मौसम है बदलेगा ही
सावन और पतझड़ हमने भी देखे हैं
जब ठंडी ठंडी सी लगती थी गर्मी
जब चुभ जाती थी फूलों की भी नरमी
चाँद झांक खिड़की से करता बेशर्मी
वो रेशम से दिन हमने भी देखे हैं
जब पाया क्या खोया क्या दिखता न था
जब एक नाम ख्यालों से मिटता न था
उड़ते थे हम पैर कही टिकता न था
वो खुशबु से दिन हमने भी देखे हैं.
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bahut bahut sunder abhivykti.
ReplyDeletechhand mukt kavitayen achhi lagi... bhav ka samaavesh achha hai aur gahre sandarv me hain...
ReplyDeletebadhaayee
arsh
जब पाया क्या खोया क्या दिखता न था
ReplyDeleteजब एक नाम ख्यालों से मिटता न था
उड़ते थे हम पैर कही टिकता न था
वो खुशबु से दिन हमने भी देखे हैं.
बहुत सुन्दर शुभकामनायें
This comment has been removed by the author.
ReplyDeleteइस कविता का एक एक शब्द निःशब्द कर देता हैं यूँ लगता है एक एक शब्द मौसम को सहलाते हुए उसे महसूस करते हुए लिखा गया है |
ReplyDeleteवो रेशम से दिन हमने भी देखे हैं
ReplyDeleteबहुत खूब...बहुत अच्छी रचना...बधाई...
नीरज
जब ठंडी ठंडी सी लगती थी गर्मी
ReplyDeleteजब चुभ जाती थी फूलों की भी नरमी...
देखे तो हैं ऐसे भी मौसम ...
आपकी कविता में फिर से साकार हो गए ...
Mausam to mausam hai...badlega hi......lo aa gaya fulon ka mausm...
ReplyDeleteResham se din hon
ReplyDeleteResham si baatein
Resham sa chanda
Resham si raatein
Rehmi andhere mein
Dhule dhule sapne
Kuchh apne khoye se
Kuchh khoye apne
Reham si saanson mein
Resham se waade
Kahan bhool paateen hain
Rishtey wo aadhe