Sunday, September 6, 2015

जो तुम हँसते हो 
उमस दूर सी हो जाती है 
फिसल पड़ती है बूंदे 
आसमान की मुट्ठी से 
ज़रा सा  खिलखिला दो 
भीग जाऊं बारिश में 
आज टिपटिप नहीं 
रिमझिम की तलब है मुझको 

- रंजना डीन 

Saturday, July 11, 2015

ओ सावन 
ज़्यादा झूम कर मत बरसना 
कुछ छतें कमज़ोर हैं
टूट सकती हैं.....  

नयी बनी सड़कों के
किनारे भी कटने लगे हैं, 
शादी का तम्बू गाड़ने के लिये 
किया गया गड्ढा 
अब और बड़ा हो गया है.… 

पड़ोस वाले बाबा की
छतरी में छेद हो गया है 
फिर भी वो बारिश को 
बेवकूफ बनाने के लिए 
निकल पड़ते हैं उसे लेकर.… 

दो दिन तेज़ बारिश हो जाये 
तो छतें इतना टपकती हैं 
की outdoor और indoor का 
फर्क खत्म हो जाता है.… 

और भी है बहुत कुछ कहने को 
पर बातों की फहरिस्त
कहाँ खत्म होने वाली .… 

इसलिए निचोड़ कर दुपट्टा 
फैला दिया है पंखे के नीचे 
और अदरख वाली चाय की
चुस्कियों के साथ 
देख रही हूँ फर्श पर थिरकती 
बूंदो की जुगलबंदी 

- रंजना डीन 

Thursday, April 23, 2015




याद तेरी फिर भटक कर मेरे दरवाज़े खड़ी

शक्ल है मायूस, आँखों में है आंसू की झड़ी 

थाम के बाँहें जो उसकी, मैंने बैठाया उसे 

गोद में सर रख के मेरे वो फफक कर रो पड़ी 

- रंजना डीन

Saturday, October 18, 2014

'माँ जल्दी घर आओ न'



'माँ जल्दी घर आओ न'

जब तुम मुस्कुराती हो
और चमकती है तुम्हारी जुगनू सी आंखे
मै बन जाती हूँ दुनिया की सबसे खुशनसीब औरत

निकल आते है पंख मेरे कंधो पर
तुम्हे बैठा कर अपनी पीठ पर
मै घुमा लाती हूँ सात समुन्दर पार

मेरे घर पहुचते ही दौड़ पड़ती हो तुम मेरी ओर
और मै कहती हूँ रुको बेटी मुझे मुंह तो धोने दो
और तुम चल पड़ती हो मन्त्र मुग्ध सी मेरे पीछे

ऑफिस में जब रुकना पड़ता है
देर तक किसी मीटिंग के कारण
पांच बजे के बाद मुझे दीखता है
सिर्फ घर, तुम और तुम्हारे पापा
सुनाई देती है सिर्फ एक आवाज़
'माँ जल्दी घर आओ न'

जो गुज़रे साल जलाये थे पटाखे तुमने

उसमे कुछ शोर था, कुछ रौशनी धमाकों की

चलो इस बार बाँट आये ज़रा सी खुशियां


किसी गरीब को नौबत न आये फांको की


- रंजना डीन

Tuesday, September 30, 2014

आज फिर एक साँस टूटी
फिर उगा तारा कोई
ज़िंदगी पायी किसी ने
मौत से हारा कोई।
था बड़े मीठे से दिल का
अश्क़ अब खारा कोई
फिर रहा है आसमान में
बन के आवारा कोई
हम तो अपने अश्क़
कागज़ पर बहा लेते हैं पर
छुप के तनहा रो रहा है
दर्द का मारा कोई
- रंजना डीन