Tuesday, May 4, 2010

सपने

चटक, चुलबुले, चमकीले से
हरे गुलाबी और पीले से
रोज़ सजाती हूँ मै सपने
ओस की बूंदों से गीले से
पर...
आग उगलता सच का सूरज
सपनो को पिघला देता है
सब सपनों सा सरल नहीं है
इस सच को दिखला देता है

5 comments:

  1. सच का सूरज सपनो को पिघला देता है ...
    दिल को भीतर तक छू गयी ये पंक्तियाँ ...!!

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  2. swapn sajana nahi galat kutch
    kintu kathin sakar hai karna.
    swapn kal ki sundrta ko
    rasmi prbha ke saath me rahna. .......

    AAPKI YEH ABHIVAYKTI HRADAY ASPRSI LAGI HAI ..
    CONGRATULATION.

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