कागज़ को प्यार से सहलाकर
खुशबुओं से नहलाकर
सोचती हूँ लिखू
कोई प्यार भरा गीत
जिसमे तारों भरे आसमान तले
जुगनू टिमटिमाते हो
हवा के झोंके जहाँ बिना किसी
खिड़की, दरवाज़े से टकराए हुए आते हों
जहाँ एक दूसरे के सुख से बढ़कर
कोई चाह न हो
जहाँ अलग कर देने वाली
कोई राह न हो
जहाँ किसी को समझने के लिए
लफ़्ज़ों की नहीं दिल की ज़रूरत हो
जहाँ चेहरे नहीं
नियत खूबसूरत हों
जहाँ लोग क्या कहेगे
कहने वाला कोई न हो
जहाँ मासूमियत ने
अपनी सूरत धोयी न हो
जहाँ शान के लिए
जान बिकती न हो
जहाँ इंसानों में हैवानियत
दिखती न हो
खुशबुओं से नहलाकर
सोचती हूँ लिखू
कोई प्यार भरा गीत
जिसमे तारों भरे आसमान तले
जुगनू टिमटिमाते हो
हवा के झोंके जहाँ बिना किसी
खिड़की, दरवाज़े से टकराए हुए आते हों
जहाँ एक दूसरे के सुख से बढ़कर
कोई चाह न हो
जहाँ अलग कर देने वाली
कोई राह न हो
जहाँ किसी को समझने के लिए
लफ़्ज़ों की नहीं दिल की ज़रूरत हो
जहाँ चेहरे नहीं
नियत खूबसूरत हों
जहाँ लोग क्या कहेगे
कहने वाला कोई न हो
जहाँ मासूमियत ने
अपनी सूरत धोयी न हो
जहाँ शान के लिए
जान बिकती न हो
जहाँ इंसानों में हैवानियत
दिखती न हो
waah ati sundar bhaav...
ReplyDeleteसुन्दर कल्पना . प्रशंसनीय ।
ReplyDeletenice
ReplyDeleteप्रेमासक्ति की आदर्श स्थिति।
ReplyDeleteवाकई एक मासूम अभिव्यक्ति...
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर रचना, और भाव हैं!
ReplyDeletewww.mathurnilesh.blogspot.
Bahut sunder masoom se bhavo kee prashansneey abhivykti.......
ReplyDeletedurlabh to nahee lagee na chah......?
जहाँ शान के लिए
ReplyDeleteजान बिकती न हो
जहाँ इंसानों में हैवानियत
दिखती न हो
-सुन्दर भाव!
पुरुष की आंख कपड़ा माफिक है मेरे जिस्म पर http://pulkitpalak.blogspot.com/2010/05/blog-post_9338.html मेरी नई पोस्ट प्रकाशित हो चुकी है। स्वागत है उनका भी जो मेरे तेवर से खफा हैं
ReplyDeleteHi..
ReplyDeleteGeet pyaar ka padhkar tera..
Lagne laga hai humko ye..
Ho sab gar tere geet ke jaisa..
Duniya sundar hamen lage..
Aaj pahli baar aapke blog par aaya..achha laga aapki kavita padhkar..
Aaj se apke blog ka follower bhi hun..
DEEPAK..
www.deepakjyoti.blogspot.com