Saturday, May 15, 2010

उँगलियों और किबोर्ड

थकी हुई आँखों में भरी हुई है नीद
पर कंप्यूटर के किबोर्ड
पर थिरकती उँगलियाँ
अभी भी बांधे हुए है उम्मीद
की शायद यहाँ से भेजे हुए इमेल्स
वहां तक पहुँचकर
कुछ करामात दिखायेंगे
कहीं किस्मत, तो कहीं दिल के
दरवाज़े खटखटाएंगे
और फिर शायद भर जाये
किसी दिल का खाली कोना
या बदल जाये किसी की
बदकिस्मती खुशकिस्मती में
और बढ़ता जाये प्यार
उँगलियों और किबोर्ड में लगातार

7 comments:

  1. उंगलि‍यां नहीं आपका दि‍ल ये तय करता है कि‍ कौन सा कोना भरेगा कौन सा खाली रहेगा नहीं ??

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  2. आधुनिक बिंबो की आधुनिक कविता. धन्‍यवाद.

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  3. कुछ अलग तरह की अच्छी कविता ...!!

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