थकी हुई आँखों में भरी हुई है नीद
पर कंप्यूटर के किबोर्ड
पर थिरकती उँगलियाँ
अभी भी बांधे हुए है उम्मीद
की शायद यहाँ से भेजे हुए इमेल्स
वहां तक पहुँचकर
कुछ करामात दिखायेंगे
कहीं किस्मत, तो कहीं दिल के
दरवाज़े खटखटाएंगे
और फिर शायद भर जाये
किसी दिल का खाली कोना
या बदल जाये किसी की
बदकिस्मती खुशकिस्मती में
और बढ़ता जाये प्यार
उँगलियों और किबोर्ड में लगातार
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उंगलियां नहीं आपका दिल ये तय करता है कि कौन सा कोना भरेगा कौन सा खाली रहेगा नहीं ??
ReplyDeleteachchhi panktiyaan hain
ReplyDeleteआधुनिक बिंबो की आधुनिक कविता. धन्यवाद.
ReplyDeletebahut khub
ReplyDeletebadi ashavadi rachna
ReplyDeleteकुछ अलग तरह की अच्छी कविता ...!!
ReplyDeletenice one.. mam
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