फिर चिटका मन और बह निकली कविता…
भरमाई, भोली सी, भीगी कविता,
सुख में साथ नहीं थी दूर खड़ी थी…
दुःख आया तो संग संग आई कविता,
नैनों में भर आये हर आंसू को…
सीपी में मोती सा रखती कविता,
भावों का करके सिंगार मनोहर…
पन्नों के घूँघट से ढकती कविता,
साथ नहीं जब संगी साथी कोई…
साथ निभाती, हाथ बढ़ाती कविता,
चुप सी काली रातों में भी जागी...
मुझे सुलाने की प्रयास में कविता,
जीवन के सारे भारी पल लेकर,
मन का सारा बोझ मिटाती कविता...
साथ बहुत से छूटे धीरे धीरे
साथ निभाती अंत समय तक कविता.
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नैनों में भर आये हर आंसू को…
ReplyDeleteसीपी में मोती सा रखती कविता,
-सुन्दर भाव!
सुंदर भाव के साथ..... खूबसूरत कविता....
ReplyDelete"जीवन के सारे भारी पल लेकर,
ReplyDeleteमन का सारा बोझ मिटाती कविता..."
सुन्दर कविता पंक्तियाँ । आभार ।
साथ निभाती अंत तक कविता ...
ReplyDeleteजिंदगी का रुख़ हम किस तरफ भी बदले ...
कालमे लिख ही जाएगी कुछ ग़ज़लें ...!!
कलम
ReplyDeleteभावों का करके सिंगार मनोहर…
ReplyDeleteपन्नों के घूँघट से ढकती कविता,
सुंदर प्रस्तुति ........ लाजवाब बोल .........
mann ka saara bojh mitati kavita....good
ReplyDeletesunder abhivyakti....sunder rachna...
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