Friday, December 4, 2009

क्यूँ दर्द में यूँ डूबने लगता है दिल ?
क्यूँ जिंदगी से ऊबने लगता है दिल ?
क्यूँ झूठी मुस्कुराह्ते जुटाने में...
सच्चाइयों से जूझने लगता है दिल ?

9 comments:

  1. बहुत सुन्दर रचना बहुत अच्छी है बधाई

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  2. लिखी तो आपने सिर्फ चार ही लाइने लेकिन है बहुत सुन्दर !

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  3. impressive kya baat hai aap to kamal hain,kahan thi ab tak aap,shreshta aur naveenta ka sundar mishran,well done,keep it up,n do keep in touch,please do join my blog.

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  4. बहुत कम शब्दों में बहुत कुछ कह डाला आपने , शुभकामनाएँ !!

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  5. चार ही लाइने लेकिन है बहुत सुन्दर !



    शुभकामनाएँ !

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  6. अनुभव हैं यह ! प्रश्नों के रूप में निकल आए हैं । आभार ।

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  7. ऐसा इसलिए है क्योंकि ...
    '' दिल की फितरत है जूझ जाने की '
    दिल की आदत है ग़म उठाने की ''

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  8. चार लाइनों में लिखी गहरी बात ........... दूर तलाक़ जाने वाली बात .........

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  9. KOI ITNA UNCHQA YUN HI NAHIN JAA SAKTA
    PAAS HI DARD KI KOI GEHRI NADI JARROR HOGI.
    MARVELLOUS,EXCELLENT!SUPERB
    U HAVE GREAT NOTIONS OF EMOTIONS.

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