Sunday, April 25, 2010


ऑफिस के
वातानुकूलित कमरे में बैठ कर
खिडकियों के काले शीशों के बाहर
दिखाई देते लोग
पेड़, मकान, सड़क, मौसम
दिखते है कितने सुन्दर
लेकिन बिजली के चले जाने के
कुछ पलों बाद ही
महसूस होने लगती है
दूर से दिखाई देती
सुन्दरता का सच
पसीने से भीगते शरीर
तपती हुई छतें
पिघलती सड़कें
झुलसते पेड़
उबलता मौसम...
सच है जब तक
खुद को चोट न लगे
दर्द महसूस नहीं होता

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