Sunday, June 16, 2013

Happy Father's Day Dear Papa

पापा को याद करते हुए बचपन की एक याद शेयर कर रही हूँ आप सबसे...

बचपन में मैंने खेले खेल खिलौने ढेर
हाथी, बन्दर, भालू, मुर्गा, कछुआ और बटेर

पापा ने घुटनों पर अपने झुला बहुत झुलाया
कंधे पर बैठा कर मुझको सारा जहाँ घुमाया

थे पापा के पेट पर बहुत घनेरे बाल
जब भी देखू आता था जंगल का ख्याल

एक दिन पापा ऑफिस से थक कर जब घर आये
लेट गए वो बिस्तर पर थोड़ा सा सुस्ताये

बस क्या था मौका मिला करने को शैतानी
सैर करेंगे जंगल की आज जानवर ठानी

हाथी, बन्दर, भालू, कछुआ और पापा का पेट
सभी जानवर सजा दिए जरा किया न वेट

आख खुली तो पापा ने देखा और मुस्काए
बोले इतने जानवर जंगल से कब आये?

अब तो मैंने बना लिया इसे रोज़ का खेल
पापा मेरी कैदी थे मिल न पाती बेल

तंग आकर फिर पापा ने अपनी अकल लगायी
सजे जानवर पेट पर तो जोर से तोंद फुलाई

लुढ़क गए सब जानवर ऐसा लगा उछाल
पापा बोले जंगल में आया आज भूचाल

- रंजना डीन

5 comments:

  1. नमस्कार
    आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल सोमवार (17-06-2013) के :चर्चा मंच 1278 पर ,अपनी प्रतिक्रिया के लिए पधारें
    सूचनार्थ |

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  2. पापा की यादों का गहरा एहसास लिए हर शेर ...
    बहुत लाजवाब ...

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  3. bachpan ki yadein... very nice :)

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  4. बहुत प्यारे अहसास...बहुत सुन्दर

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