Tuesday, April 30, 2013

हर हँसते चेहरे के पीछे 
टूटा सा एक दिल होता है 

जी लूँ कुछ पल साथ तुम्हारे 
सुन लूँ तेरे सारे सुख दुःख 
कह दूँ तुझसे मन की गाथा 
ऐ पल थम जा,थोड़ा सा रुक 

समझ न पाई क्या न भाया 
कब मैंने तुझको उकसाया 
कब कह दी कुछ कडवी बातें 
कब कुछ अनचाहा सा गाया 

कब सिरहाने आकर तेरे 
नींद तुम्हारी खारी कर दी?
कब आँखों को अश्क दिए 
और पलकें तेरी भारी कर दी?

इतने सारे प्रश्न छोड़कर 
ऐसे कैसे जा सकते हो?
कारण कोई भी हो मुझको 
खुल कर तुम बतला सकते हो 

मन पर बोझ उठा कर जीना 
थोडा  सा मुश्किल होता है 
हर हँसते चेहरे के पीछे 
टूटा सा एक दिल होता है 

- रंजना डीन 

8 comments:

  1. इतने सारे प्रश्न छोड़कर
    ऐसे कैसे जा सकते हो?
    कारण कोई भी हो मुझको
    खुल कर तुम बतला सकते हो

    कभी कभी कारण अज्ञात होते है

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  2. "कब सिरहाने आकर तेरे
    नींद तुम्हारी खारी कर दी?"
    खूबसूरत पंक्तियाँ!

    एक छोटा सा सुझाव- अगर आप अपने ब्लॉग का फॉण्ट साइज़ थोड़ा बड़ा कर दे तो पढ़ना काफी आसान हो सकता है. अभी कुछ लोगों को पढ़ने में असुविधा ज़रूर हो रही होगी...

    -Abhijit (Reflections)

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  3. मन पर बोझ उठा कर जीना
    थोडा सा मुश्किल होता है
    हर हँसते चेहरे के पीछे
    टूटा सा एक दिल होता है/

    बहुत खूबसूरत रचना.......

    अपनी कुछ पंक्तियाँ आपसे बाँटना चाहूँगा
    "दिल की इस चिंगारी को
    मैने शब्दों में पिरोया था
    वो बातें करती मुझसे हँसकर
    मैं हँस-हँसकर भी रोया था/"

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  4. har insa ka dard jo samajh le vo meri kaviyatri ranjana hi ho sakti hai :) ;)

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  5. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज गुरुवार 30 जनवरी 2020 को साझा की गई है...... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  6. मर्मस्पर्शी रचना..

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