हर हँसते चेहरे के पीछे
टूटा सा एक दिल होता है जी लूँ कुछ पल साथ तुम्हारे
सुन लूँ तेरे सारे सुख दुःख
कह दूँ तुझसे मन की गाथा
ऐ पल थम जा,थोड़ा सा रुक
समझ न पाई क्या न भाया
कब मैंने तुझको उकसाया
कब कह दी कुछ कडवी बातें
कब कुछ अनचाहा सा गाया
कब सिरहाने आकर तेरे
नींद तुम्हारी खारी कर दी?
कब आँखों को अश्क दिए
और पलकें तेरी भारी कर दी?
इतने सारे प्रश्न छोड़कर
ऐसे कैसे जा सकते हो?
कारण कोई भी हो मुझको
खुल कर तुम बतला सकते हो
मन पर बोझ उठा कर जीना
थोडा सा मुश्किल होता है
हर हँसते चेहरे के पीछे
टूटा सा एक दिल होता है
- रंजना डीन
इतने सारे प्रश्न छोड़कर
ReplyDeleteऐसे कैसे जा सकते हो?
कारण कोई भी हो मुझको
खुल कर तुम बतला सकते हो
कभी कभी कारण अज्ञात होते है
"कब सिरहाने आकर तेरे
ReplyDeleteनींद तुम्हारी खारी कर दी?"
खूबसूरत पंक्तियाँ!
एक छोटा सा सुझाव- अगर आप अपने ब्लॉग का फॉण्ट साइज़ थोड़ा बड़ा कर दे तो पढ़ना काफी आसान हो सकता है. अभी कुछ लोगों को पढ़ने में असुविधा ज़रूर हो रही होगी...
-Abhijit (Reflections)
Thanks for suggestion Abhijit Ji...:)
Deleteमन पर बोझ उठा कर जीना
ReplyDeleteथोडा सा मुश्किल होता है
हर हँसते चेहरे के पीछे
टूटा सा एक दिल होता है/
बहुत खूबसूरत रचना.......
अपनी कुछ पंक्तियाँ आपसे बाँटना चाहूँगा
"दिल की इस चिंगारी को
मैने शब्दों में पिरोया था
वो बातें करती मुझसे हँसकर
मैं हँस-हँसकर भी रोया था/"
very nice
ReplyDeletehar insa ka dard jo samajh le vo meri kaviyatri ranjana hi ho sakti hai :) ;)
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज गुरुवार 30 जनवरी 2020 को साझा की गई है...... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteमर्मस्पर्शी रचना..
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