Friday, August 26, 2011
क़ल कंप्यूटर के संग मैंने काटी सारी रात
आँखों में मोनिटर था और माउस पर था हाथ
नींद बार बार कहती थी सो जा अब तू सो जा
क़ल ऑफिस भी तो जाना है सपनो में अब खो जा
लेकिन बोझ काम का मेरी थाम रहा था बांह
पलकें मुंद कर बोल रही थी सोने की है चाह
बड़ी देर तक चली बहस पर नींद अंत में जीती
रात ३ से ७ बजे तक खर्राटों में बीती
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रात ३ से ७ बजे तक खर्राटों में बीती
ReplyDeleteवाह :)
maza aa gaya
ReplyDeleteraat aapki kharaab hui - din hamara sudhar gaya ..ha ha ha
सोने से पहले अपना कम्प्यूटर शट डाउन अवश्य करें :)
ReplyDeletewah wah...kya baat hai..
ReplyDeleteloved the last line especially:-)
www.poeticprakash.com
काम पूरा हुआ या नहीं ? :):)
ReplyDeleteबहुत सुंदर शब्द संयोजन क्या बात कही आपने
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