Wednesday, September 29, 2010

फर्क क्या था रब, खुदा या राम में?

आदमी ने फर्क बतलाया न होता गर हमें...
तुम बताओ फर्क क्या था रब, खुदा या राम में?
रो के हमसे आसमान ने कह दी अपने दिल की बात...
अब नहीं रहता कोई रब तीर्थों और धाम में.

5 comments:

  1. ekdum solah aane sacchee baat.........
    koun samjhae swarth kee rajneeti karne walo ko.... aur jo dharm ka mudda utha apana swarth poora karate ho.....

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  2. आपकी रचना का दर्द समझ आता है ... दर असल खुद हम लोगों ने तीर्थस्थल और धर्म को ग़लत साबित कर दिया है ....

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  3. दुखी मन से सच स्वीकार करना पड़ता है ...!

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