Thursday, September 23, 2010

साजिशें

मन उदास है
और गुलाब के पत्तों पर
थमी हुई सुनहरी बूंदे
देख लग रहा है
आसमान भी बहुत रोया है शायद आज

वैसे ही जैसे रो उठती हूँ
मै मन ही मन
जब सारी कोशिशों के बाद भी
जीत जाती हैं साजिशें
और हार जाती है
मेहनत और ईमानदारी

किसने कहा सियासत
सिर्फ सियासी गलियारों में
सफ़ेद पोशों के बीच ही होती है
मैंने देखी है सियासत
हँसते मुस्कुराते चेहरों के पीछे
आपकी कमज़ोर नब्ज़ ढूँढती हुई
निगाहों के बीच

12 comments:

  1. Hi ranjana,
    तुम्हारी कवितायें अपने मन की बात सी लगती हैं .
    सच है हमारे आस पास जीवन में हर कहीं साजिशें दिखाई देती हैं....
    मीन

    ReplyDelete
  2. वाह पहली बार पढ़ा आपको बहुत अच्छा लगा.
    आप बहुत अच्छा लिखती हैं और गहरा भी.
    बधाई.

    ReplyDelete
  3. आपका ब्लॉग पसंद आया....इस उम्मीद में की आगे भी ऐसे ही रचनाये पड़ने को मिलेंगी......

    कभी फुर्सत मिले तो नाचीज़ की दहलीज़ पर भी आयें-
    http://sanjaybhaskar.blogspot.com

    ReplyDelete
  4. निगाहों के बीच की सियासत तो ज्यादा ही सियासी होगा.
    सुन्दर रचना

    ReplyDelete
  5. मैंने देखी है सियासत
    हँसते मुस्कुराते चेहरों के पीछे
    आपकी कमज़ोर नब्ज़ ढूँढती हुई
    निगाहों के बीच ...

    सचमुच मन कभी बहुत उदास हो जाता है ...
    कितने हृदयों की बात को इतनी आसानी से शब्दों में बयान कर दिया आपने ...
    बहुत खूब ...!

    ReplyDelete
  6. adbhut lekhan ! kitnee sahjata saralta se aae din hum sabhee ke rojmarra kee jindagee me ghatne walee baat aapne kavita ke madhyam se ujagar kar dee.....
    Aabhar

    ReplyDelete
  7. मैंने देखी है सियासत
    हँसते मुस्कुराते चेहरों के पीछे
    आपकी कमज़ोर नब्ज़ ढूँढती हुई
    निगाहों के बीच ...

    सधे हुए शब्दों की सुंदर प्रस्तुति.... बहुत अच्छी लगी रचना

    ReplyDelete
  8. sach kaha aapne, charo aur sajeeshe hi sajish.....wo bhi muskurate hue......apna ban kar deekhate hue.......:(

    bahut pyari rachna!

    ReplyDelete
  9. ittifaq se aapke blog tak aana hua lekin man bahut khush hua aapki rachna padhkar

    किसने कहा सियासत
    सिर्फ सियासी गलियारों में
    सफ़ेद पोशों के बीच ही होती है
    मैंने देखी है सियासत
    हँसते मुस्कुराते चेहरों के पीछे
    आपकी कमज़ोर नब्ज़ ढूँढती हुई
    निगाहों के बीच

    ReplyDelete
  10. देख लग रहा है
    आसमान भी बहुत रोया है शायद आज

    loved the phrase

    ReplyDelete