मसरूफियत कुछ इस कदर हम पर फ़िदा है
अब चैन के लम्हे हुए हमसे जुदा हैं
हम इश्क भी करते हैं यूँ पाकीज़गी से
के हुस्न के तेवर हुए हमसे खफा हैं
हमको नहीं आते बनाने झूठे वादे
लोगो को लगता है की हम तो बेवफा है
चाहे जो सोचो कुछ असर हमपर न होगा
हूँ क्या मै, मेरे रब - खुदा को सब पता है
अब चैन के लम्हे हुए हमसे जुदा हैं
हम इश्क भी करते हैं यूँ पाकीज़गी से
के हुस्न के तेवर हुए हमसे खफा हैं
हमको नहीं आते बनाने झूठे वादे
लोगो को लगता है की हम तो बेवफा है
चाहे जो सोचो कुछ असर हमपर न होगा
हूँ क्या मै, मेरे रब - खुदा को सब पता है
हमको नहीं आते बनाने झूठे वादे
ReplyDeleteलोगो को लगता है की हम तो बेवफा है....
क्या बात कह दी ...बिलकुल अपने जैसी ही ..!
हमको नहीं आते बनाने झूठे वादे
ReplyDeleteलोगो को लगता है की हम तो बेवफा है ...
बहुत ही लाजवाब और खूबसूरत शेर ....
ek se bad kar ek sher.
ReplyDeletebahuuuuuuuuut sunder .
हम इश्क भी करते हैं यूँ पाकीज़गी से
ReplyDeleteके हुस्न के तेवर हुए हमसे खफा हैं
वाह बहुत खूब। बधाई।
bahut sunder....
ReplyDeleteबहुत ही लाजवाब और खूबसूरत शेर ....
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