रहने दो कुछ अधूरा सा ही सही,
सबकुछ हो पूरा ये ज़रूरी नहीं.
आधा चाँद, आधी याद,
आधा घूंघट, आधी रात
पूरे होते ये सब...
तो नहीं होती इनमे वो बात.
रिश्ते की आधी सी बची...
मिठास को चखो मत,
चखते चखते कभी कभी...
ख़त्म हो जाती है चीज़ें.
बस सोच कर कर लो मुंह मीठा
ताकि मिठास जिंदा रहे...
कभी भी ख़त्म न होने के लिए.
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सुन्दर ..!
ReplyDeleteबहुत खूब ... उम्दा लिखा ...
ReplyDeletebahut sunder mithas liye swadisht rachana....
ReplyDeleteaap bahut accha likhti hain!!
ReplyDeleteek mithi si kavita
ReplyDeleteuttkrisht...
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