dard ki diwar ka kitna bada aakar hai .. dhondata huun ed sira duja sira milta nahi.. ye diwaren ek si hain rung thode hai alag , chot khane ka hai inki sisila thamta nahi...
सन्नाटे को सुनने की कोशिश करती हूँ...
रोज़ नया कुछ बुनने की कोशिश करती हूँ...
नहीं गिला मुझको की मेरे पंख नहीं है....
सपनो में ही उड़ने की कोशिश करती हूँ.
dard ki diwar ka kitna bada aakar hai ..
ReplyDeletedhondata huun ed sira duja sira milta nahi..
ye diwaren ek si hain rung thode hai alag ,
chot khane ka hai inki sisila thamta nahi...
तुझको सोचा तो पता हो गया रुसवाई को
ReplyDeleteमैंने महफूज़ समझ रखा था तन्हाई को
साथ मौजों के सभी हो जहाँ बहने वाले ,
कौन समझेगा समन्दर तेरी गहराई को.
bhir me tanhai, jayda pareshan karti hai.......:)
ReplyDeleteमन के कोने मे दबा दर्द कैसे बाहर आता है ।
ReplyDeleteक्या बात है..
ReplyDeleteati sundar
ReplyDeleteuttkrisht...
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