धड़कने जब धडकनों से बोलती है...
जाने कितने राज़ दिल के खोलती है,
थाम लेती हैं हथेली दूर से ही...
बाँहों में बाहें फसा कर डोलती हैं.
कितने भी कड़वे हो लम्हे जिंदगी के...
तल्खियों में चाशनी सी घोलती हैं,
बेपनाह चाहतों की बारिशों को...
जब बहाती है कभी न तोलती है.
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बढ़िया...सुंदर अभिव्यक्ति....
ReplyDeletebahut hee sunder abhivyktee .
ReplyDeleteबहुत सुंदर !!
ReplyDeleteसच है जब धड़कने दिल से बोलती हैं तो प्यार का राग ही निकलता है .... सुंदर रचना है ...
ReplyDeleteआपकी कविता पढ़ कर ये नज्म याद आई -
ReplyDeleteमेरी धडकनों में है चाप सी ,
ये जुदाई भी है मिलाप सी ,
तुझे क्या पता मेरे दिल बता ,
मेरे साथ क्या कोई और है ?
Lovely expression...
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