तल्खियों की बदजुबानी
में भी होती है कहानी
दिल का बह जाता ज़हर सब
बचता है मीठा सा पानी
गम की हर एक धूप ढल जाती है
कितनी भी चटख हो
सुख के बादल जब बरसते है
ज़मीं हो जाती धानी
जिंदगी को मुस्कुरा कर
देख लो बस एक नज़र भर
सबकी एक जैसी ही है
तेरी हो या मेरी कहानी
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
गम की हर एक धूप ढल जाती है
ReplyDeleteकितनी भी चटख हो
सुख के बादल जब बरसते है
ज़मीं हो जाती धानी
सुन्दर अभिव्यक्ति ..
एक-एक शब्द भावपूर्ण ...
ReplyDeletebadhiya ...sab ki ek si kahaani.
ReplyDelete