Friday, July 29, 2011

तल्खियों की बदजुबानी

तल्खियों की बदजुबानी
में भी होती है कहानी
दिल का बह जाता ज़हर सब
बचता है मीठा सा पानी

गम की हर एक धूप ढल जाती है
कितनी भी चटख हो
सुख के बादल जब बरसते है
ज़मीं हो जाती धानी

जिंदगी को मुस्कुरा कर
देख लो बस एक नज़र भर
सबकी एक जैसी ही है
तेरी हो या मेरी कहानी

3 comments:

  1. गम की हर एक धूप ढल जाती है
    कितनी भी चटख हो
    सुख के बादल जब बरसते है
    ज़मीं हो जाती धानी

    सुन्दर अभिव्यक्ति ..

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  2. एक-एक शब्द भावपूर्ण ...

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