Friday, July 1, 2011
मुश्किल बहुत ये बात है तो क्या?
क्यों आंखे नम करू
फहरिस्त गम की साथ है तो क्या?
मै नन्हा सा दिया
लम्बी बहुत ये रात है तो क्या?
क्यों गम के ज़िक्र में
बर्बाद करू कीमती ये पल?
तलाशूँ हल कोई
मुश्किल बहुत ये बात है तो क्या?
खुदा पर क्यों भरोसा करके
बैठूं हर मुसीबत में?
मुझे मालूम है की सिर पे
उसका हाथ है तो क्या?
तराशे पत्थरों को
मान लेते हैं खुदा जब लोग
मुझे रब ने तराशा
खुद में खुदा को मान लूँ तो क्या?
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मुझे रब ने तराशा
ReplyDeleteखुद में खुदा को मान लूँ तो क्या?
-बिल्कुल जी...बहुत खूब!!!
behtar
ReplyDeleteपहले तो आपसे मज़े लेंगी फ़िर जब दुनियां को पता चलेगा तो बन जायेंगी अबला नारी
भगवान भरोसे रहिये पर ख़ुदा बनने की ख्वाहिश छोड़ दीजिये अच्छी रचना ...
ReplyDeleteSunil ji...shayad apne padha nahi theek se...khud me khuda yani har vyakti ke andar eshwar hota hai...mai khuda hun aisa maine kabhi nahi kaha...agar patthar ke but tarash kar pooje ja sakte hain to apne andar ke eshwar yani acchi soch ko jaga kar bhi bahut kuch kiya ja sakta hai...comment ke liye dhanyvaad...:)
ReplyDeleteतराशे पत्थरों को
ReplyDeleteमान लेते हैं खुदा जब लोग
मुझे रब ने तराशा
खुद में खुदा को मान लूँ तो
excellent.....good wishes
सर पर उसका हाथ तो चाहे कितनी मुश्किल राह हो , आसान हो जाती है !
ReplyDeleteshuru kee panktiyan bahut achchhee lageen ....ye bhi sach hai ki har koi apna khud khuda hota hai ..vo chahe to achchhi ibaraten likhe ....agle palon kee kismat ham svyam banaate hain ...
ReplyDeleteमनोभावों को सुन्दरता से व्यक्त करती बहुत खूबसूरत रचना ....
ReplyDeleteअस्वस्थता के कारण करीब 20 दिनों से ब्लॉगजगत से दूर था
ReplyDeleteआप तक बहुत दिनों के बाद आ सका हूँ,