Monday, August 23, 2010

बहुएं



कंगन खनकाती

पल्लू संभालती

पायल की रुनझुन से

ताल मिलाती


बटोर लाती हैं

ढेर सारे सपने

पीछे छोड़ आती हैं

सारे अपने


ढूँढती है स्वर्ग

अनजाने से घर में

खोज लेती हैं

ईश्वर अपने वर में

2 comments:

  1. nayee jindagi jeene, naye aashman ke tale aa jaati hain bahun........aur fir hamsafar ke saath talash leti hai apna aasmaan.....:)

    bahut pyari rachna!!

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  2. बहुत पसन्द आया
    हमें भी पढवाने के लिये हार्दिक धन्यवाद
    बहुत देर से पहुँच पाया .............माफी चाहता हूँ..

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