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बूंदे
लटों में उलझी बूंदे
यूँ लगती है जैसे
काली रात ने
उलझा लिए हैं खुद में
ढेर सारे सितारे,
और वो गिर रहे हैं
टूट टूट कर.
कधों से फिसलती
इधर उधर गुज़रती
गुदगुदी लगाती ये बूंदे,
बताती है पलों का मोल.
दो पल ठहरती हैं
और बिखर जाती हैं,
पर ज़मीन पर
रंगत बिखेर जाती हैं.
bahut sundar!
ReplyDeletewah kya baat hai........?
ReplyDeletekya bhav hai...............?
adbhut....... abhivykti...........
बहुत सुन्दर भाव-चित्र।
ReplyDeleteसादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
दो पल ठहरती हैं
ReplyDeleteऔर बिखर जाती हैं,
पर ज़मीन पर
रंगत बिखेर जाती हैं...
बूंदें ही ना नेह वर्षा की
या जीवन के कुछ ख़ास हसीं पल भी तो ...
bahut sundar bhaav...
ReplyDeletegr8 gr8 gr8 gr8 gr8 gr8
ReplyDeleteसादर !
ReplyDeleteमनमोहक प्रस्तुति |
रत्नेश
बेहतरीन प्रस्तुति!
ReplyDeleteuss do pal, jab wo thahrati hai.........ek sansani, ek unmaad laa deti hai........aisee hai bunde........:)
ReplyDeleteek khubsurat rachna!!
aage se barabar aaunga......:)
kyonki follow kar liya...:D
bahot sunder.
ReplyDeleteअतिसुन्दर ।
ReplyDeleteबूँदें बारिश की ... क्या से क्या कर जाती हैं ... इतिहास रच जाती हैं ...
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